ब्लड प्रेशर के मरीजों (Blood Pressure Patients) के लिए कौनसी दवा ज्यादा अच्छी और कब शुरू करनी चाहिए?
आज भारतवर्ष ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर चार में से एक व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है। समस्या यह है कि अधिकांश लोग समय रहते ब्लड प्रेशर की जांच नहीं कराते और जब तक लक्षण सामने आते हैं, तब तक शरीर को नुकसान पहुंच चुका होता है।
ब्लड प्रेशर को “साइलेंट किलर” भी कहा जाता है क्योंकि यह बिना स्पष्ट लक्षण दिए धीरे-धीरे दिल, दिमाग, किडनी और आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए यह समझना बहुत जरूरी है कि कब दवा शुरू करनी चाहिए और किन परिस्थितियों में कौन सी दवा उपयुक्त होती है।
कब दवा शुरू करनी चाहिए?
ब्लड प्रेशर की सामान्य सीमा 120/80 मानी जाती है। यदि लगातार मापने पर ब्लड प्रेशर 140/90 या उससे अधिक आता है, तो चिकित्सक इसे उच्च रक्तचाप की श्रेणी में रखते हैं। शुरुआती चरण में अक्सर जीवनशैली में बदलाव (जैसे – संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, धूम्रपान और शराब से दूरी) की सलाह दी जाती है। लेकिन यदि इन उपायों के बाद भी ब्लड प्रेशर नियंत्रित नहीं होता, तब दवाओं की ज़रूरत पड़ती है।

दवाइयों का चयन कैसे किया जाता है?
ब्लड प्रेशर कम करने वाली कई श्रेणियों की दवाइयाँ मौजूद हैं। लेकिन किसी भी मरीज को कौन सी दवा दी जानी चाहिए, यह केवल ब्लड प्रेशर के स्तर पर निर्भर नहीं करता। डॉक्टर मरीज की अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को ध्यान में रखकर दवा का चुनाव करते हैं। उदाहरण के लिए:
- डायबिटीज़ (Sugar) वाले मरीज – ऐसे मरीजों को अक्सर ऐसी दवाएँ दी जाती हैं जो किडनी की रक्षा भी कर सकें।
- मोटापा वाले मरीज – दवा का चुनाव ऐसा किया जाता है जिससे वजन पर नकारात्मक असर न पड़े।
- कोलेस्ट्रॉल की समस्या – यदि मरीज को कोलेस्ट्रॉल की गड़बड़ी भी है, तो दवा ऐसी चुनी जाती है जो दिल की नसों की सुरक्षा करे।
- दिल की नसों में ब्लॉकेज – इस स्थिति में डॉक्टर ब्लड प्रेशर कंट्रोल के साथ-साथ दिल की नसों को रिलैक्स करने वाली दवाओं को प्राथमिकता देते हैं।
- दिल की पंपिंग क्षमता कम होना – हार्ट फेल्योर वाले मरीजों में विशेष प्रकार की दवाइयाँ दी जाती हैं, जो दिल पर अतिरिक्त बोझ को कम करें।
यानी दवा का चयन एक व्यक्तिगत (Personalized) निर्णय होता है, जो हर मरीज के हिसाब से अलग होता है।
दवाइयों से केवल ब्लड प्रेशर ही नहीं, और भी फायदे
सही दवा लेने से ब्लड प्रेशर तो नियंत्रित होता ही है, साथ ही अन्य बीमारियों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जैसे –
- किडनी की कार्यक्षमता सुरक्षित रहती है,
- दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा कम होता है,
- ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल पर भी अप्रत्यक्ष रूप से असर पड़ता है,
- शरीर में ऊर्जा और कार्यक्षमता बनी रहती है।

केवल दवा ही समाधान नहीं है
यह याद रखना जरूरी है कि ब्लड प्रेशर की दवा जीवनशैली में सुधार का विकल्प नहीं है। मरीज को दवा के साथ-साथ अपने रोज़मर्रा के जीवन में भी बदलाव करने होंगे।
- नमक का सेवन कम करें,
- नियमित व्यायाम करें,
- तनाव को कम करने के उपाय अपनाएँ,
- धूम्रपान और शराब से पूरी तरह दूरी बनाएँ,
- नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की जांच कराएँ।
इन आदतों से दवा का असर और भी बेहतर होता है और लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलती है।
निष्कर्ष
उच्च रक्तचाप आज करोड़ों लोगों के लिए गंभीर चुनौती है। लेकिन सही समय पर जांच, उचित दवा और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। दवा कब शुरू करनी है और कौन सी दवा आपके लिए सही रहेगी, इसका निर्णय हमेशा विशेषज्ञ चिकित्सक ही करेंगे।
याद रखें, ब्लड प्रेशर की दवा का लक्ष्य सिर्फ ब्लड प्रेशर कम करना नहीं है, बल्कि आपके दिल, दिमाग और किडनी की सुरक्षा करना भी है। इसलिए यदि आपको उच्च रक्तचाप है, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें और तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें।